काबुली चना (Cicer arietinum)
- परिचय: काबुली चना, जिसे “सफेद चना” या “हुमस चना” भी कहा जाता है, मुख्यतः भारत, अफगानिस्तान, और मध्य पूर्व में उगाई जाती है। इसका बड़ा आकार और हल्का रंग इसे खास बनाता है।
- विशेषताएँ:
- आकार: बड़ा और गोलाकार।
- रंग: हल्का, जो क्रीम या सफेद रंग का होता है।
- स्वाद: हल्का मीठा और नरम, जो इसे विभिन्न व्यंजनों में बहु-उपयोगी बनाता है।
- उपयोग:
- खाने में: इसका उपयोग चने की दाल, सलाद, हुमस (Hummus), और स्नैक्स में किया जाता है।
- अन्य उपयोग: इसे भिगोकर या भूनकर भी खाया जाता है।
- पोषण:
- प्रोटीन (लगभग 19 ग्राम प्रति 100 ग्राम), फाइबर (लगभग 8 ग्राम), और विटामिन B6 का उत्कृष्ट स्रोत। यह आयरन, जिंक, और फोलिक एसिड से भरपूर है।
- खेती:
- ठंडी जलवायु में उगाई जाती है। अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है। उचित सिंचाई और उर्वरक का उपयोग करना महत्वपूर्ण है।
2. देसी चना (काला चना) (Cicer arietinum var. nigrum)
- परिचय: देसी चना, जिसे “काला चना” या “भुना चना” कहा जाता है, छोटी और कड़ी किस्म है। यह विशेष रूप से भारत में लोकप्रिय है।
- विशेषताएँ:
- आकार: छोटा और गोलाकार।
- रंग: गहरा काला या भूरे रंग का।
- स्वाद: तीखा और संतोषजनक, जो इसे मसालेदार व्यंजनों में शामिल करता है।
- उपयोग:
- खाने में: इसका उपयोग दाल, चाट, भुजिया, और मसालेदार सब्जियों में किया जाता है। भिगोकर या भुजाकर नाश्ते के रूप में खाया जा सकता है।
- स्वास्थ्य के लिए: पाचन सुधारने और वजन नियंत्रित करने में मदद करता है।
- पोषण:
- प्रोटीन (लगभग 20 ग्राम प्रति 100 ग्राम), फाइबर (लगभग 12 ग्राम), और एंटीऑक्सीडेंट का समृद्ध स्रोत। यह आयरन, जिंक, और कैल्शियम से भी भरपूर है।
- खेती:
- सूखे और गर्म जलवायु में उगाई जाती है। मिट्टी की अच्छी तैयारी और उचित सिंचाई आवश्यक है। फसल की देखभाल करने से उपज में सुधार होता है।
निष्कर्ष
काबुली और देसी चना दोनों ही पौष्टिक और स्वादिष्ट होते हैं, लेकिन उनकी विशेषताएँ और उपयोग भिन्न होते हैं। काबुली चना हल्का और मीठा होता है, जबकि देसी चना तीखा और अधिक संतोषजनक होता है। ये दोनों किस्में भारतीय खाद्य संस्कृति का अहम हिस्सा हैं और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं।
अगर आपको इनमें से किसी खास किस्म के बारे में और जानना है या किसी और विषय पर जानकारी चाहिए, तो बेझिझक पूछें!